मंडी शिवरात्रि 2016 की अंतिम जलेब, चोहटा व देवी देवता

चौहटा की जातर व अंतिम जलेब के बाद अंतरराष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि में आए देवी देवता वापस अपने गांव लौट गए हैं। सात दिन तक जनपद के देवी देवताओं के आने से छोटी काशी देवमयी हो उठी थी। जनपद के देवता साल में एक बार शिवरात्रि के दौरान मंडी वासियों के मेहमान बनकर आते हैं। ढोल नगाड़ों, करनाल, शहनाई और रणसिंगों के समवेत स्वरों से मंडी शहर गुंजायमान हो उठता है। देवताओं के अपने गांव लौटते ही सब सूना-सूना सा लगने लगता है।
चौहटा की जातर में देवी देवताओं का दरबार सजा तो भारी भीड़ उनके दर्शनों के लिए उमड़ पड़ी। अपने परिजनों की तरह देवी देवता भी एक दूसरे से मिलकर एक साल के लिए जुदा हुए। जनपद के बड़ादेव कमरूनाग भी टारना मंदिर का अपना आसन छोड़कर देवी देवताओं को विदा करने के लिए चौहटा की जातर में आए। वहीं मंडी शहर की खुशहाली और समृद्धि के लिए देव आदि ब्रह्मा ने कार बांधी। देवता के गुर ने देवता के रथ के साथ शहर की परिक्रमा करते हुए नगर वासियों की सुख समृद्धि के लिए दुआ की।

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