शिवरात्रि महोत्सव के लिए बल्ह वैली पहुंचे कमरूनाग, लोगों ने किया स्वागत
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि में हिस्सा लेने के लिए निकले मंडी जनपद के अराध्य देव, कमरूनाग रविवार को बल्ह घाटी पहुंचे। बल्ह में जगह-जगह लोग उनके दर्शनों के लिए पलके बिछाएं खड़े रहे। जगह-जगह पर कमरूनाग का लोगों ने आशीर्वाद लिया। रविवार सुबह बल्ह वैली के बग्गी पहुंचे कमरूनाग और देवलुओं ने रात्रि स्टे बग्गी से मात्र 3 किलोमीटर दूर कुम्मी गांव में किया। कुम्मी गांव के वीरेंद्र कुमार ने देवता के ठहरने और खान-पान की व्यवस्था की। देव कमरूनाग सोमवार सुबह मंडी शिवरात्रि के लिए फिर से अपना सफर करेंगे।
26 को मंडी पहुंचेंगे
देव कमरूनाग 26 फरवरी को मंडी पहुंचेंगे। जिला प्रशासन की ओर से 26 फरवरी को देव कमरूनाग का स्वागत मंडी शहर के नजदीक पुल घराट पर किया जाएगा। इसके बाद देवता की मेहमान नवाजी मंडी शहर और जिला प्रशासन करेगा। बल्ह से मंडी तक वे १५ किलोमीटर पैदल चलेंगे।
पुलिस भी साथ
देव कमरूनाग मंडी जिला के पहले ऐसे देवता हैं जिन्हें शिवरात्रि में हिस्सा लेने के लिए आने और जाने के समय जिला प्रशासन की ओर से पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाती है। जवान देव के साथ हैं।
देव कमरूनाग शिवरात्रि में हिस्सा लेने के लिए मंडी में 26 फरवरी को पहुंचेंगे। जिला प्रशासन पुल घराट पर देव कमरूनाग का स्वागत करेगा।
पंकज राय, एडीएम, मंडी।
80 किलोमीटर की यात्रा पैदल
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले में हिस्सा लेने के लिए देव कमरूनाग लगभग 80 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर देवलुओं के साथ मंडी शहर पहुंचेंगे। पैदल यात्रा लगभग 10 दिन पहले धंग्यारा के कांडी गांव स्थित देव कमरूनाग के मंदिर से शुरू हो कर मंडी पहुंचेगी। मंडी शिवरात्रि में देव कमरूनाग का मोहरा ही लाया जाता है। मंडी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए देव कमरूनाग गुर धर्मदत के साथ आ रहे हैं।
श्रद्धालुओं को इंतजार
देव कमरूनाग को घर में बुलाक देवता के सम्मान में भोज देकर लोग आशीर्वाद ले रहे हैं। इसका मंडी विशेषकर बल्ह वैली के लोगों को साल भर इंतजार रहता है। साल में एक बार शिवरात्रि मेले में हिस्सा लेने के लिए मंदिर से बाहर निकलने वाले देव कमरूनाग के आने और जाने की यात्रा में बल्ह वैली के किसान लोग देवता की मेहमान नवाजी करने में जुटे रहते हैं। देव कमरूनाग करीब एक माह के प्रवास के बाद मंदिर लौटते हंंै। कमरूनाग को वर्षा का देवता भी माना जाता है। इसके कारण किसान देवता के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ते। बारिश की उम्मीद में किसान कमरूनाग का धूमधाम से स्वागत करते हैं।